Fiction Hindi Story On Covid-19 | मौलाना का मास्क हिन्दी कहानी |

 

Fiction Hindi Story On Covid-19 | मौलाना का मास्क हिन्दी कहानी |


हिंदी में लघु कहानियों के इस ‘वृतखण्ड’ में हमनें आपके साथ Short Hindi Stories, Hindi Stories with Social and Political Matters तथा हिंदी में प्रभावशाली कहानियाँ साँझा करने का जो संकल्प लिया है, यह उस संबंध में एक छोटा-सा प्रयास हैं। हम उम्मीद करते हैं कि Covid-19 Hindi Story in Short की यह पोस्ट आपको पसंद आएगी तथा साहित्य के इस नवीन सफर में हम आपके सहचर्य व प्रेम के योग्य बन पाएंगे।

 

 

प्रस्तावना


 

जब भी कोई राष्ट्र मुश्किलों के दौर से गुजर रहा होता है, तो वह एक प्रतिबद्धता सुनिश्चित करता है और राष्ट्र के उस संकल्प में नागरिकों की अनुशीलनता ही राष्ट्र की एकता व अखंडता के शक्ति को प्रतिबिंबित करती हैं। सर्वप्रथम तो ‘राष्ट्रीयता’ कोई पंथ या धर्म नहीं है, हाँ, यह सत्य है कि कुछ लोग अपने निजी हितों के संरक्षण में इसे राजनीतिक स्वरूप देना चाहते है, पर केवल धर्म राष्ट्र की पहचान नहीं बनता सकता।

 

 

राष्ट्र के हितों के संरक्षण में प्रचालित किसी भी नियमाचरण का अनुसरण नागरिकों का मूल-कर्तव्य हैं तथा ऐसे किसी विषम परिस्थिति में ‘सरकार’ के लोकहितकारी नीतियों व उसके पहल का सम्मान राष्ट्र की शक्ति हैं। क्योंकि ‘सरकार’ किसी एक व्यक्ति के इच्छाओं से अभिप्रेरित नहीं है, बल्कि यह तो लोकमत के अपेक्षाओं तथा उसके विश्वासों की पराकाष्ठा हैं। ‘सरकार’ के अस्तित्व का कारण हमारे विक्षिप्त इच्छा में निहित हैं। अतः ‘सरकार’ के फ़ैसलों का सम्मान लोकइच्छा का सम्मान हैं, पर सिर्फ तभी जब वह लोकहित में हो।

 

 

‘कोरोना’ के इस महामारी के दौर में पूरे विश्व ने जितनी कठिनाइयों का सामना किया, वह एक भयावह वृतांत हैं। जिसमे कष्ट है, अपने प्रियजनों को खो देने का ग़म, भय तथा त्रासदी  की एकमुश्त व्यथित स्मृतियाँ, जिससे उभरने में शायद हमें कुछ और वक्त लगे। इस कठिन समय में दुनियाभर के विभिन्न देशों तथा सरकारों नें अपने-अपने लोगों के हित में तमाम तरह के फैसले व नीतियों को क्रियान्वित किया और लोगों ने भी उसका अनुपालन किया। वही कुछ लोगों ने इसका उल्लंघन तो किया ही, साथ ही उन्होंने अपने अलावा और सारे लोगों की मुश्किलों को भी बढ़ा दिया।

 

 

 

इसबार हम Hindi Stories, Short Story in Hindi तथा Best Short Hindi Stories के अपने इस अनुभाग में Short Hindi Story on Covid-19 को आपके साथ साँझा कर रहे है तथा भविष्य में हम इसी तरह सामाजिक व नैतिक विचारों पर कहानियाँ, Hindi Me Choti Kahanian तथा Informative Hindi Stories की विभिन्न शृंगखलाएं आपके साथ साँझा करते रहेंगे।

 

 

 

कहानी के संदर्भ में

 

 

इस ‘कहानी’ के सभी पात्र, तथ्य, नाम व घटनाएं पूरी तरह काल्पनिक हैं तथा इसका किसी भी जीवित व मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। इस रचनात्मक सामग्री में किसी के निजी भावनाओं, उसके पंथ, जाति या धार्मिक विश्वासों को आहत करने वाले तत्व नहीं है और नाहीं ऐसे किसी भी तर्क का कोई समर्थन हैं। यह ‘कहानी’ व्यापक दृष्टांतों की रूपरेखा तथा कथानक के निश्चित माँगों के तर्ज पर लिखी गयी हैं।

 

 

मौलाना का मास्क:-  प्रस्तुत ‘कहानी’ कोरोना काल के दौरान ‘सरकार’ द्वारा जारी दिशानिर्देशों की अवहेलना तथा उसके नियमों के प्रति अविश्वासों की विभिन्न दृष्टांतों तथा व्यवहारों को उजागर करती है तथा लोगों को ऐसे अहितकारी व्यवहार के प्रति सचेत व जागरूक रहने की प्रेरणा देती हैं।

 

 

 

 

मौलाना का मास्क


कैंट थाना प्रभारी एसo एसo दास अपने सहकर्मी कबीर के साथ हजरत हॉस्पिटल में प्रवेश करते हैं। इनकों इस बात की सूचना मिली थी कि इस हॉस्पिटल में ‘कोरोना’ को लेकर ‘सरकार’ द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। एसo एसo दास और उनके सहयोगि कबीर जैसे ही डॉ हजरत अंसारी के चैम्बर में प्रवेश करते है, डॉ अंसारी उन्हें बैठने का इशारा करते हैं। वे दोनों उनके सामने लगी कुर्सी पर बैठ जाते हैं।

 

 “कहिए जनाब! कैसे आना हुआ?” डॉ हजरत अंसारी ने पूँछा।

 “हमें यह सूचना मिली थी कि ‘सरकार’ के द्वारा कोरोना को लेकर जो गाईड लाईन जारी की गयी है, उसका यहाँ सही ढंग से पालन नहीं किया जा रहा हैं।“ एसo एसo  दास ने सख्ती के साथ कहा।

 “जी! ऐसा बिलकुल भी नहीं है। वैसे भी इस देश के ‘हुक्मरान’ की नाफ़रमानी करने की गैरत हममे क्या, हमारी पूरी कौम मे ही नहीं है। आप भी कैसी बाते करते है जनाब?” डॉ अंसारी ने गूढ़ राजनैतिक कटाक्ष किया, पर चूकी एसo एसo दास कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे, इसीलिए उन्होंने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और संदर्भित ‘शब्दावली’ में बोले।

 “आप कृपया हमे तहकीकात में सहयोग करे और हमें अपना काम करने दें।“ एसo एसo  दास अत्यंत ही विनम्र शब्दों में बोले।

 “जी! बेशक, आप बताए हम तहकीकात में आपकी किस प्रकार मदद कर सकते हैं।“ डॉ अंसारी ने सहयोगपूर्ण शब्दों में कहा।

 “जी! बस हमे यहाँ कुछ देर बिना किसी हस्तक्षेप के बैठने दे, हम अपनी तहकीकात पूरी कर लेंगे।“ एसo एसo  दास ने शिष्टता के साथ कहा।

 “जी! बिल्कुल आप तसरीफ़ रखें। ये हॉस्पिटल आपका है और आप कहें तो हम बाहर चले जाते हैं।“ डॉ अंसारी ने अतिसयोक्ति दिखाई।

 “जी! नहीं, इसकी कोई आवश्यकता नहीं।“ एसo एसo  दास ने विनम्रता से मना कर दिया।

 

तीनों लोग कुछ देर तक हजरत हॉस्पिटल के उस प्रकोष्ठ में चुपचाप बैठे रहे। पूरे चैम्बर में स्निग्ध, शांत व निस्तब्धता का माहौल था। अपने निश्चित समयावधि के बावजूद गतिशील पंखे की विकृत-ध्वनि व गर्मी को नियंत्रित कर पाने में असमर्थ उसकी हवाएं, कमरे की जीवंतता को दर्शा रही थी। हर चीज में एक गतिशीलता होती है, जो हमें अपने अंदर जीवन को दर्शाती हैं। सहसा मौलाना मंसूर सारे सुरक्षा जुगत से युक्त कमरे में प्रवेश लेते है और वह कक्ष अपना व्यक्तित्व खो देता हैं।

 

अचानक सभी का ध्यान मौलाना मंसूर की तरफ़ आकर्षित होता हैं। मौलाना मंसूर एसo एसo  दास के प्रति आदर व्यक्त करते है और एसo एसo  दास उनके इस आदर भावना के स्वीकृति में अपना सिर हिला देते हैं। मौलाना मंसूर कबीर की बगल वाली कुर्सी पर बैठ जाते हैं। अतः अब डॉ अंसारी ने उनके यहाँ आने का कारण पूछा, जबाब में मौलाना मंसूर ने घुटने में दर्द की बात कही। डॉ हजरत अंसारी दवा लिखकर उसका पर्चा मौलाना मंसूर को पकड़ा देते है।

 

मौलाना मंसूर पर्चा लेकर चैम्बर से बाहर निकल जाते है। तभी मौलाना शमशाद चैम्बर में प्रवेश करते हैं। सभी की नजर एक दूसरे मिलती है और उनमें विक्षिप्त संवाद होता है और फिर मौलाना शमशाद कबीर के बगल वाली कुर्सी पर बैठ जाते हैं। डॉ अंसारी ने उनके यहाँ आने का कारण पूछा, जबाब में मौलाना शमशाद ने कंधे में दर्द की बात कही। डॉ हजरत अंसारी दवा लिखकर उसका पर्चा मौलाना शमशाद को पकड़ा देते है।

 

मौलाना शमशाद पर्चा लेकर चैम्बर से बाहर निकल जाते है। तभी मौलाना अरशद चैम्बर में प्रवेश लेते है। वे कबीर के बगल वाली कुर्सी पर बैठ जाते हैं। डॉ हजरत अंसारी उनके आने का कारण पूछते है, जबाब में मौलाना अरशद ने कूल्हे में दर्द शिकायत की। डॉ हजरत दवा लिखकर उसका पर्चा मौलाना अरशद को पकड़ा देते है। मौलाना अरशद पर्चा लेकर चैम्बर से बाहर निकल जाते हैं।

 

मौलाना अरशद के जाने के बाद एसo एसo  दास डॉ अंसारी से पूछताछ करने लगते है। उनको ऐसा करते हुए अभी मुश्किल से पाँच मिनट ही बीता होगा कि मौलाना जब्बार चैम्बर में प्रवेश करते हैं। वे कबीर के बगल की कुर्सी पर बैठ जाते है। डॉ अंसारी ने उनसे भी आने का कारण पूछा, जबाब में मौलाना जब्बार ने कमर में दर्द की बात कही। पुनः डॉ अंसारी दवा लिखकर उसका पर्चा मौलाना जब्बार को पकड़ा देते हैं। मौलाना जब्बार पर्चा लेकर चैम्बर से बाहर निकल जाते हैं। इधर एसo एसo  दास कबीर की तरफ़ इशारा करते है और दोनों कमरे से बाहर निकल जाते है।

 

 

दूसरे दिन प्रातः काल


सुबह-सुबह थाना प्रभारी एसo एसo  दास अपने सहकर्मी कबीर के साथ चाय की चुस्की ले रहे थे। चाय का एक घूंट लेते हुए, उसकी हल्की आनंदमय गर्माहट की पीड़ा के बाद वह चाय का प्याला हाथों में सहजता से संभालते हुए बोले।

 “यार! कुछ लोग अपना निजी खुन्नस निकालने के लिए गलत-सलत सूचना देते रहते हैं।“ एसo एसo  दास ने बातचीत के क्रम को आगे बढ़ाया।

 “मैं भी इसी विषय पर सोच रहा था।“ कबीर ने कहा।

 “डॉ हजरत का मामला तो तुम देख ही रहे हो। कैसे उस ‘दुकानदार’ राजू ने गलत सूचना देकर हमलोगों का समय बर्बाद किया।“ एसo एसo  दास ने अस्वीकृति में सिर हिलाते हुए, चाय की एक घूंट ली और दूसरी तरफ़ देखने लगे। तभी उनका साथी कबीर अपने पूर्व संदेह को पुष्ट करते हुए बोला।

 “मुझे भी पहले ऐसा ही लग रहा था, लेकिन यह सच्चाई नहीं हैं।“ दोनों एक दूसरे की तरफ़ देखने लगे। एसo एसo  दास ने आश्चय से कहा- “क्या….! ये क्या कह रहे हो तुम?” और फिर स्पष्टीकरण मांगते हुए बोले।

 “तो बताओं, आखिर सच्चाई क्या हैं?”

 “कल शाम को मैं राजू के ‘दुकान’ पर गया था। वहाँ जाने के बाद मैंने ‘राजू’ को खूब डांट पिलाई। तभी हजरत हॉस्पिटल के सामने का एक ‘दुकानदार’ वहाँ पहुँचा और उसने मुझे कुछ विडिओ फुटेज दिखाए। जिसे देखकर मैं दंग रह गया। अगर आप चाहे तो वह विडिओ देख सकते हैं।“

 

कबीर अपनी जेब से मोबाईल निकालकर स्क्रीन पर उंगली घूमाते है और मोबाईल में विडिओ चलने लगता है। इसके बाद वह मोबाईल को एसo एसo  दास की तरफ़ बढ़ा देते हैं। एसo एसo  दास उस विडिओ को ध्यान से देखते हैं। हजरत हॉस्पिटल के सामने चबूतरे पर मौलाना मंसूर अपने साथियों के साथ बैठे हैं, तभी उनके मोबाईल पर एक संदेश आता हैं। वह उस संदेश को बारी-बारी से सभी साथियों को दिखते है और इसके बाद आपस में कानाफूसी करने लगते है। आपस में कानाफूसी करने के बाद मौलाना मंसूर अपने स्थान से उठकर सीधे सामने एक ठेले के पास पहुंचते हैं। वह वहाँ से एक मास्क खरीदकर सीधे हजरत हॉस्पिटल में प्रवेश करते हैं। जब वह बाहर निकलते है तो उनके हाथ में दवा का एक पर्चा था। हॉस्पिटल से बाहर निकलते ही वह उस पर्चे को फाड़कर फेंक देते है और अपना मास्क मौलाना शमशाद को पकड़ा देते हैं।

 

मौलाना शमशाद उसी मास्क को लगाकर हॉस्पिटल में प्रवेश करते है। मौलाना शमशाद जब बाहर निकलते है तो उनके हाथ में भी दवा का पर्चा था। वह उस पर्चे को फाड़कर फेंक देते है और अपना मास्क मौलाना अरशद को पकड़ा देते हैं। मौलाना अरशद उसी मास्क को पहनकर हॉस्पिटल में प्रवेश करते है। जब वे बाहर आते है तो उनके हाथ मे भी सदृश्य एक दवा का पर्चा था। वह उस पर्चे को फाड़कर फेंक देते है और अपना मास्क मौलाना जब्बार को पकड़ा देते है। मौलाना जब्बार उसी मास्क को लगाकर हॉस्पिटल में प्रवेश करते हैं। जब वह बाहर निकलते है तो उनके हाथ में भी एक दवा का पर्चा होता हैं। वह उस पर्चे से अपने नासिका-मल को पोंछते है और इसके बाद मास्क और पर्ची दोनों फेंक देते हैं।

 

ये चारों साथी एक बार फिर आपस में बातें करने लगते हैं। तभी मौलाना मंसूर जोर-जोर से ठहाके लगाकर हँसने लगते है और उनके सभी साथी उनका अनुसरण करते हैं। यह क्रम कुछ देर तक चलता रहता हैं। मौलाना जब्बार अपनी बाईक चालू करते है और चारों उसी बाईक पर सवार होकर वहाँ से चल देते हैं।

 

 “अरे! ये तो बड़े शातिर लोग हैं।“ एसo एसo  दास ने कहा।   

 “अब आपको यकीन हुआ कि ये कितने शातिर लोग हैं?” कबीर ने अपने स्पष्टीकरण पर गर्व करते हुए कहा। वह दोनों चाय पीने के बाद बड़ी ही बेरुखाई से प्याले को सड़क पर फेंक देते है और एक नए आदेश की उम्मीद लिए गाड़ी पर सवार होकर वहाँ से चले जाते हैं। सड़क पर बेरहमी से फेंक दिए गए चाय के प्याले अपनी शेषता को एक-दूसरे के साथ साँझा करते हैं और चाय की टफरी पर अट्टाहस करते हुए अपनी शेषता से मुक्त हो जाते हैं। Read moreover.... Hindi Stories, Kahani in Hindi and Literature by Shivjicontext. 

 

 

Note:- इस रचना की सभी मूल संरचनाएं व प्रारूप लेखक के पास सुरक्षित हैं। अतः इसे किसी भी युक्ति से तोड़-मरोड़ कर इसका आंशिक या पूर्ण प्रयोग व प्रकाशन वर्जित हैं तथा यह गैरकानूनी हैं। किसी भी प्रकार की न्यायिक अवरोध की विचारणीयता राज्य उच्च ‘न्यायालय’ में होगी।    

   

  

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